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नेमप्लेट विवाद पर सुप्रीम कोर्ट की अंतरिम रोक......26 को मामले की फिर सुनवाई,यूपी, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस

by NewsDesk - 23 Jul 24 | 117

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है। दरअसल इन दोनों राज्यों में कांवड़ यात्रा रूट पर पड़ने वाले खाने-पीने की दुकानों के मालिक को अपने नाम और कर्मचारियों के नाम साफ-साफ लिखने का आदेश दिया गया था। आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर सोमवार को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अगले आदेश तक इस आदेश पर रोक लगा दी है।

सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही यूपी, उत्तराखंड और मध्यप्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर शुक्रवार तक जवाब देने को कह दिया। सुप्रीम कोर्ट ने अगले आदेश तक पुलिस के निर्देशों पर रोक लगा दी। साथ ही कहा कि मामले में अगली सुनवाई तक किसी को नाम लिखने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा।

 

दरअसल ‘एसोसिएशन ऑफ प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स नामक एनजीओ ने सुप्रीम कोर्ट में योगी सरकार के आदेश के खिलाफ याचिका दायर की थी। मामले में याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सीयू सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, चिंताजनक स्थिति है, पुलिस अधिकारी खुद ही एक विभाजन बनाने पर तुले हैं, ताकि पिछड़े, अल्पसंख्यक आर्थिक रूप से भी बंट जाएं।

 

वहीं याचिकाकर्ताओं की ओर से एक अन्य वकील अभिषेक मनुसिंघवी ने कहा, यहां अजीब से स्थिति है। अगर मैं अपना नाम नहीं लिखता तब मुझे बाहर रखा जाता है, अगर मैं अपना नाम लिखता हूं, तब भी मुझे बाहर रखा जाता है।

 

इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये स्वैच्छिक है, मैंडेटरी नहीं है। सिंघवी ने कहा, वे कह रहे हैं कि ये स्वैच्छिक है, लेकिन जबरन करवाया जा रहा है। जो नहीं मान रहे उनके खिलाफ कार्रवाई हो रही है। उन पर फाइन लगाया जा रहा है। ये दिल्ली से कुछ ही किलोमीटर दूरी पर है। एक तरह से उनकी आर्थिक मौत के बराबर है। यात्रा दशकों से हो रही है। सभी धर्म के लोग उसमें सहयोग करते हैं। इस दौरान मांसाहारी पर पहले से ही पूरी तरह से रोक है।

 

इस पर जज एसवी भट्टी, ‘एक जगह मुस्लिम और एक हिंदू मालिक वाला होटेल था। मैं मुस्लिम वाले में जाता था, क्योंकि वहां इंटरनेशनल स्टैंडर्ड का पालन होता थे। वहीं सिंघवी ने कहा कि हजारों अपना रोजगार खो रहे हैं। इस पर देखना होगा। ये ना सिर्फ मुस्लिमों बल्कि दलितों को भी अलग करने का आइडिया है।

 

वकील सिंघवी की दलील पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, कांवड़िये क्या चाहते हैं। वे भगवान शिव की पूजा करते हैं। क्या वे ऐसा चाहते हैं कि खाना कोई खास कम्युनिटी उगाए, बनाए और परोसे। कोर्ट ने इसके साथ ही यूपी, एमपी और उत्तराखंड सरकार को नोटिस देकर शुक्रवार तक जवाब देने को कहा है।

बता दें कि सोमवार से शुरू हो रही कांवड़ यात्रा के लिए कई राज्यों में व्यापक इंतजाम किए गए हैं। यह यात्रा हिंदू कैलेंडर के सावन महीने की शुरुआत के साथ शुरू होती है। इस दौरान लाखों शिव भक्त उत्तराखंड के हरिद्वार और झारखंड के देवघर से गंगा का पवित्र जल अपने घरों तक ले जाते हैं और रास्ते में शिव मंदिरों में चढ़ाते हैं।

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