- trending-title
- ऋचा का कातिलाना अंदाज और पोज़ बहुत पसंद आया फैंस को
- Monday, Dec 23, 2024
by NewsDesk - 10 Feb 24 | 215
आज़ादी का ये अमृतकाल, आत्मनिर्भर भारत के निर्माण का काल है। भारत की आत्मनिर्भरता, जनजातीय भागीदारी के बिना संभव ही नहीं है। भारत की सांस्कृतिक यात्रा में जनजातीय समाज का योगदान अटूट रहा है। गुलामी के कालखंड में विदेशी शासन के खिलाफ खासी-गारो आंदोलन, मिजो आंदोलन, कोल आंदोलन समेत कई संग्राम हुए। गोंड महारानी वीर दुर्गावती का शौर्य हो या फिर रानी कमलापति का बलिदान, देश इन्हें भूल नहीं सकता। वीर महाराणा प्रताप के संघर्ष की कल्पना उन बहादुर भीलों के बिना नहीं की जा सकती जिन्होंने कंधे से कंधा मिलाकर महाराणा प्रताप के साथ लड़ाई के मैदान में अपने-आप को बलि चढ़ा दिया था। हम इस ऋण को कभी चुका नहीं सकते, लेकिन इस विरासत को संजोकर, उसे उचित स्थान देकर, अपना दायित्व जरूर निभा सकते हैं। जिसकी दिशा में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने कई ऐतिहासिक कदम उठाए हैं।
मई, 2014 में जब प्रधानमंत्री के रूप में मोदी जी ने दायित्व संभाला, उसी दिन से जनजातीय समाज के उत्थान के प्रयास शुरू कर दिए थे। देश में 110 से अधिक जिले ऐसे थे, जो हर क्षेत्र में पिछड़े हुए थे। पहले की सरकार बस उनकी पहचान कर के छोड़ देती थी। मोदी जी की सरकार ने इन जिलों को आकांक्षी जिला घोषित किया। इन जिलों में शिक्षा, स्वास्थ्य और सड़क जैसे अनेक विषयों पर शून्य से काम शुरू करके सफलता के नए आयाम स्थापित किये। हाल ही में महामहिम राष्ट्रपति जी के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि, "सबका साथ, सबका विकास सिर्फ एक नारा नहीं है, यह मोदी जी की गारंटी है।" और निश्चित ही भारत सरकार आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के लिए "सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास" के आदर्शों के लिए प्रतिबद्ध है, जिसके तहत आदिवासी समाज को, देश के विकास में उचित भागीदारी दी जा रही है।
मुझे याद है, 15 नवंबर 2023 को जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने झारखंड में भगवान बिरसा मुंडा के गांव उलिहातू में अमृतकाल के 25 वर्ष में भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए चार अमृत मंत्र दिए थे। इसी कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने 24 हजार करोड़ रुपये की लागत से प्रधानमंत्री जनजातीय आदिवासी न्याय महाअभियान-पीएम जन मन का शुभारंभ किया, जिसमें 75 विशेषरूप से कमजोर जनजातीय समूहों के लोगों को मूलभूत सुविधाओं के साथ पोषण तथा आजीविका के अवसर उपलब्ध कराए जाना है। जनजातीय गौरव दिवस पर ही प्रधानमंत्री जी ने सामाजिक न्याय तथा सभी को सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के उद्देश्य से विकसित भारत संकल्प यात्रा का शुभारंभ किया था,जिसमें गांव-गांव तक पहुंचकर हर गरीब, हर वंचित को सरकारी योजनाओं का लाभार्थी बनाया गया है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जनजातीय सशक्तीकरण के संकल्प स्वरूप ही श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी राष्ट्रपति निर्वाचित हुई हैं, जो भारतीय लोकतंत्र की एक अविस्मरणीय घटना है।हमारे देश में जनजातीय समाज को शीर्ष पर प्रतिनिधित्व देने में भी देश को सात दशकों की लंबी प्रतीक्षा करनी पड़ी। हम लोगों ने यह भी देखा है जब जनजातीय समाज से आने वाले तुलसी गौड़ा जी, राहीबाई, सोमा पोपेरे जैसे महानुभावों को जब पद्म पुरस्कारों से अलंकृत किया गया, तब वे राष्ट्रपति भवन के लाल कालीन पर नंगे पांव पहुंचे और भारतवर्ष समेत समूचे विश्व ने तालियां बजाई क्योंकि स्वतंत्रता के बाद पहली बार किसी सरकार ने साधारण दिखने वाली इन असाधारण हस्तियों का सम्मान किया था। देश की कुल जनसंख्या में आदिवासियों की संख्या नौ प्रतिशत है। किंतु पूर्ववर्ती सरकारों ने उन्हें मुख्यधारा से जोड़ने एवं उनके उत्थान के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं किए। पहली बार एनडीए की श्रद्धेय अटल जी के नेतृत्व वाली सरकार ने 1999 में एक अलग मंत्रालय बनाने के साथ ही 89 वें संविधान संशोधन के माध्यम से राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की स्थापना की। अटल जी ने जो शुरुआत की थी, उसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उसे बहुआयामी गति दी है और लंबे समय तक हाशिये पे रहा जनजातीय समुदाय आज विकास की मुख्यधारा का हिस्सा है।
श्री रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से भारत के सांस्कृतिक अभ्युदय को दिशा मिली है। हम सब जानते हैं कि वनवासियों के साथ बिताए समय ने ही एक राजकुमार को मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम बनाने में अहम भूमिका निभाई है। उस कालखंड में प्रभु श्री राम ने वनवासी समाज से जो प्रेरणा पाई थी और उसी से उन्होंने सबको साथ लेकर चलने वाले रामराज्य की स्थापना की। प्रधानमंत्री जी भी प्रभु श्री राम के राज्य से प्रेरणा प्राप्त कर जनजातीय समुदाय के सर्वांगीण विकास हेतु कार्यरत हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में ही प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा में आदिवासी बच्चों की सहभागिता बढ़ी है। पहले केवल 90 ‘एकलव्य विद्यालय’ खुले थे, जबकि 2014 से 2022 तक मोदी सरकार ने 500 से अधिक ‘एकलव्य विद्यालय’ स्वीकृत किए। देश में नए केंद्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय की स्थापना की गई है। ‘आयुष्मान भारत योजना’ में करीब 91.93 लाख लाभार्थी जनजातीय वर्ग से ही हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आदिवासियों के लिये 65.54 लाख आवासों के लिये स्वीकृति दी जा चुकी है। स्वच्छता मिशन में जनजातीय वर्ग के 1.48 करोड़ घरों में शौचालय बने हैं। जल जीवन मिशन के तहत आदिवासी क्षेत्रों में करीब 1.35 करोड़ घरों में पाइप के जरिये जलापूर्ति हो रही है।1 करोड़ से अधिक जनजातीय किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि का लाभ मिल रहा है। जनजातीय कार्य मंत्रालय प्रति वर्ष 35 लाख जनजातीय छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान करता है। लगभग 90 लघु वन उत्पादों पर सरकार एमएसपी दे रही है। 80 लाख से अधिक स्वयं सहायता समूहों में सवा करोड़ से अधिक सदस्य जनजातीय समाज से हैं और इनमें भी बड़ी संख्या महिलाओं की है। आदिवासियों के बनाए उत्पादों को नया मार्केट उपलब्ध कराया जा रहा है।जनजातीय समाज द्वारा उत्पादित मोटा अनाज आज भारत का ब्रांड बन रहा है। साथ ही कौशल भारत मिशन, सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन, प्रधानमंत्री जनजातीय विकास मिशन जैसी योजनाओं के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार जनजातीय समुदाय को विकसित भारत की इस यात्रा में सम्मिलित कर रही है।सही मायने में हम यह कह सकते हैं कि अमृतकाल में जनजातीय समुदाय की आकांक्षाओं का सम्मान हो रहा है।
by NewsDesk | 28 Sep 24
by NewsDesk | 28 Sep 24
by NewsDesk | 28 Sep 24
by NewsDesk | 28 Sep 24
by NewsDesk | 28 Sep 24
by NewsDesk | 28 Sep 24
by NewsDesk | 28 Sep 24
by NewsDesk | 28 Sep 24
by NewsDesk | 28 Sep 24
by NewsDesk | 28 Sep 24