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- Sunday, Dec 22, 2024
by NewsDesk - 17 Aug 24 | 166
भोपाल : मध्य प्रदेश में अब डाकुओं की सूचना देने वाले मुखबिर को सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी। प्रदेश सरकार ने साल 1981 में पारित नियम को किया खत्म कर दिया है। इसे लेकर सामान्य प्रशासन विभाग ने आदेश जारी कर दिया है। पहले कुख्यात डाकुओं की सूचना देने वाले मुखबिर को मध्य प्रदेश सरकार सरकारी नौकरी देती थी।
इसके लिए सभी विभागों के अफसरों एवं कमिश्नरों को सामान्य प्रशासन विभाग ने निर्देश जारी कर दिए हैं। मध्यप्रदेश के ग्वालियर-चंबल और चित्रकूट में डाकुओं का बोलबाला रहा है। वर्ष 1981 में, जब अर्जुन सिंह मध्यप्रदेश के सीएम थे, उन्होंने एक ऐसी नीति बनाई थी जिसके तहत डाकुओं की जानकारी देने वाले मुखबिरों को सरकारी नौकरी दी जाती थी। यह नीति मुख्य रूप से ग्वालियर-चंबल और चित्रकूट जैसे डाकुओं से प्रभावित क्षेत्रों में लागू की गई थी। इसका उद्देश्य डाकुओं की गतिविधियों पर अंकुश लगाना और उन्हें पकड़ने में मदद करना था।
वही अब मोहन सरकार ने इस नीति को समाप्त करने का फैसला लिया है। इसकी मुख्य वजह यह है कि सरकार ने महसूस किया कि इस नीति का उद्देश्य पूरा नहीं हो रहा था और इससे अन्य मुद्दे उत्पन्न हो रहे थे। नई नीति के तहत, डाकुओं की सूचना देने वाले मुखबिरों को सरकारी नौकरी की पेशकश नहीं की जाएगी। इसके परिणामस्वरूप, डाकुओं की जानकारी देने वालों के लिए सरकारी नौकरी पाने की संभावना समाप्त हो जाएगी।
इस निर्णय के साथ, मध्यप्रदेश सरकार ने एक महत्वपूर्ण परिवर्तन किया है जो कि डाकुओं की जानकारी देने वाले मुखबिरों की सरकारी नौकरी की पेशकश को समाप्त कर देगा। यह कदम सरकार की नई रणनीति का हिस्सा है और इसके प्रभावी होने के बाद, डाकुओं से संबंधित मुद्दों पर नये तरीके से ध्यान दिया जाएगा।
by NewsDesk | 28 Sep 24
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