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- Tuesday, Dec 24, 2024
by NewsDesk - 18 Jun 24 | 141
नई दिल्ली। एनएसए अजीत डोभाल ने सोमवार को अमेरिका के सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन के साथ विस्तृत चर्चा की और इस दौरान उन्होंने मुख्य रूप से महत्त्वाकांक्षी ‘महत्त्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों पर भारत-अमेरिका पहल’ (आईसीईटी) के क्रियान्वयन, द्विपक्षीय रक्षा संबंधों और क्षेत्रीय सुरक्षा स्थिति पर ध्यान केंद्रित किया। जानकारी मिली है कि दोनों देशों के एनएसए ने प्रस्तावित भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे (आईएमईसी) पर भी विचार-विमर्श किया, जिसकी शुरुआत में पश्चिम एशिया में मौजूदा स्थिति के मद्देनजर देरी हो रही है। सुलिवन की भारत यात्रा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के बीच इटली के अपुलिया क्षेत्र में जी7 शिखर सम्मेलन के दौरान हुई संक्षिप्त बातचीत के तीन दिन बाद हुई है। बाइडन प्रशासन के शीर्ष अधिकारी ने विदेश मंत्री एस जयशंकर से भी मुलाकात की। उनके प्रधानमंत्री मोदी से भी मिलने की उम्मीद है।
बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) सुलिवन के साथ एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल भी आया है जिसमें अमेरिका के वरिष्ठ सरकारी अधिकारी और उद्योग जगत के दिग्गज शामिल हैं। सुलिवन आज यानी 18 जून तक दिल्ली की यात्रा पर हैं, जो मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के लिए सत्ता में आने के बाद अमेरिका के जो बाइडन प्रशासन के किसी वरिष्ठ अधिकारी की पहली भारत यात्रा है।वहीं भारत के विदेश मंत्री जयशंकर ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘आज सुबह नई दिल्ली में अमेरिकी एनएसए जेक सुलिवन का स्वागत करते हुए प्रसन्नता हो रही है। द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों की एक विस्तृत श्रृंखला पर व्यापक चर्चा हुई।’ उन्होंने कहा, ‘मुझे विश्वास है कि भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी हमारे नए कार्यकाल में मजबूती से आगे बढ़ेगी।’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने मई 2022 में टोक्यो में क्वाड सम्मेलन से इतर ‘आईसीईटी’ की शुरुआत की थी। उसके बाद दोनों एनएसए ने सेमीकंडक्टर, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, क्वांटम कम्प्यूटिंग, रक्षा नवाचार, अंतरिक्ष और आधुनिक दूरसंचार समेत नई एवं उभरती प्रौद्योगिकियों के विविध पहलुओं पर साझेदारी के क्षेत्रों को चिह्नित करने के लिए समन्वित प्रयास किए हैं। दोनों पक्षों ने आईसीईटी के अंतर्गत नए क्षेत्रों को शामिल किया है, जिसमें जैव प्रौद्योगिकी, महत्त्वपूर्ण खनिज और दुर्लभ मृदा प्रसंस्करण प्रौद्योगिकी, डिजिटल कनेक्टिविटी, डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना और उन्नत सामग्री शामिल हैं।
by NewsDesk | 28 Sep 24
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