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- Monday, Dec 23, 2024
by NewsDesk - 26 Jul 24 | 132
नई दिल्ली। संसद में कई बार ऐसी परिस्थितियां बनती हैं कि अपने ही सांसद को न केवल नसीहत देना पड़ती है बल्कि आलोचना भी मजबूरी बन जाती है। कुछ इसी तरह का माहौल गुरुवार को उस समय दिखाई दिया जब एक दिन पहले भाजपा सांसद अभिजीत गंगोपाध्याय ने सदन में असंसदीय शब्द का उपयोग कर दिया। बजट सत्र हुए दौरान हुई टिप्पणी पर विपक्ष हंगामा करने लगा और गंगोपाध्याय से माफी मांगने पर अड़ गया। बिगड़ती स्थिति को देखते हुए केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने भी अपनी ही पार्टी के सदस्य की आलोचना की। उन्होंने कहा कि गंगोपाध्याय ने भाषा का गलत इस्तेमाल किया। कोई सदन की गरिमा को ठेस पहुंचाता है, तो यह दुख की बात है। हालांकि स्पीकर ओम बिरला ने इस विवादित टिप्पणी को सदन की कार्यवाही से विलुप्त करा दिया।
दरअसल, कलकत्ता हाईकोर्ट के पूर्व जज और पश्चिम बंगाल से सांसद गंगोपाध्याय संसद सत्र के दूसरे दिन आर्थिक विषयों पर बोल रहे थे। इसी दौरान विपक्षी सदस्यों ने टिप्पणी की। इस पर गंगोपाध्याय ने कहा कि विद्वान सदस्यों को इसकी (आर्थिक विषयों) जानकारी नहीं है, उन्हें और सीखना चाहिए। इसी दौरान कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने ‘गोडसे’ को लेकर टिप्पणी की। इस पर गंगोपाध्याय ने कहा कि मूर्खों की तरह बात मत करो। इसके बाद सदन में हंगामा हो गया। विपक्षी सदस्यों गंगोपाध्याय के कहे शब्द का विरोध किया। इसके बाद लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने भी कहा कि वे जो आदेश देंगे, उसे सभी को मानना चाहिए। सदस्य अपनी बात रखें, चर्चा में भाग लें, लेकिन ऐसी टिप्पणी न करें जो संसदीय परंपराओं के अनुकूल न हो। इसके बाद गंगोपाध्याय के विवादित शब्द को रिकॉर्ड से हटा दिया गया।
by NewsDesk | 28 Sep 24
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